ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थ
प्रकाश के द्वितीय समुल्लास में बताया है कि माता मनुष्य का पहला
गुरु है। माता बच्चे का, समाज
का, धर्म
का, राष्ट्र
का निर्माण तभी कर सकती है यदि विदुषी हो। इसी उद्देश्य को सम्मुख रखकर संत
शिरोमणि स्वामी सर्वानंद महाराज ने मातृशक्ति को शिक्षाविद् करने के लिए इस संस्था
की स्थापना की और आर्य समाज के अनुयायी, तन, मन, धन से इस पौधे को सींचने का
कार्य करने लगे।प्राचार्या एवं सुयोग्य स्टॉफ के परिश्रम के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय
मूल्यांकन प्रत्यापन परिषद' द्वारा
इस महाविद्यालय को 'ए' ग्रेड प्रदान किया गया, विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग द्वारा "कॉलेज फॉर पोटेंशियल विद एक्सीलेंस" तथा डी.बी.टी. भारत
सरकार द्वारा इसे "स्टार कॉलेज" का स्तर प्राप्त हुआ।मैं परमपिता
परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि यह महाविद्यालय दिन दोगुनी रात चौगुनी उन्नति
करे। महाविद्यालय के
समस्त परिवार को आशीर्वचन I
स्वामी सदानंद जी
अध्यक्ष, दयानंद मठ एवं महाविद्यालय
प्रबंधकीय सभा दीनानगर